अगरबत्ती स्टैंड को किसने हुक्म दे दियाf Hindi sad poem

Poetry at Agarbatti stand

अगरबत्ती स्टैंड को किसने हुक्म दे दियाf Hindi sad poem

अगरबत्ती स्टैंड को किसने हुक्म दे दिया
इन धुओं को टुकड़ों में बिखेरने की
और साजिस किसकी थी
जलते हुए को कैद करने की
चाह के भी वो खुद को बुझा ना पाया
ऐसी आग लगी थी उसके बदन पे
और उतने ही हवाओं को मिलने दिया गया
ताकि वो  मिलके कहीं उसे बुझा न दें
हर कोई कर्जदार हो गया
उसके बिखरे हुए खुशबू की
और वो जल के राख हो गया
ऐसी बेवफाई थी उसके खुशबू की
अगरबत्ती स्टैंड को किसने हुक्म दे दियाf Hindi sad poem

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