जो नाराज़ हैं उन्हें नाराज़ ही रहने दो Hindi sad poetry
जो नाराज़ हैं उन्हें नाराज़ ही रहने दो
उनकी नज़रों में मुझे गुनेहगार ही रहने दो
जब भी पास जाता हूँ मेरी हैसियत बताने लगते हैं
महलों में वो जीते कैसे हैं ये दिखाने लगते हैं
अभी ज़िन्दगी के कई पल बाक़ी हैं आने तो दो
जो लगी है अंदर आग उसे बाहर तक फ़ैलाने तो दो
पहचान लोगे हर एक पायदान को जिसपे पैर रख के चढ़े थे
फिर तुम कहोगे ये मेरा ग़ुरूर था इसे बिक जाने तो दो
लहरों की तरह वापस आओगे ज़रा वक़्त आने तो दो
मेरे कई दर्द हैं ज़रा आपस में सबको टकराने तो दो
जहाँ से गए थे वहीं आके खड़े हो जाओगे
ये जीवन काल चक्र है ज़रा इसे घूम जाने तो दो
(जो नाराज़ हैं उन्हें नाराज़ ही रहने दो Hindi sad poetry)
Writer
Wah wah