मैं मर चुका हूँ इनके रास्तों पे Hindi sad kavita
Hindi sad kavita
मैं मर चुका हूँ इनके रास्तों पे
मेरे सर पे पैर रख के ये गुज़र जायेंगे
अगर कोई खड़ा हो जाये इनके जुर्म की राह पे
तो उसके ज़िन्दगी का सौदा ये कर जायेंगे
ये जो हिन्दू – मुस्लिम का कारवां खड़ा है
इनमे इंसानों का चेहरा कहाँ पड़ा है
और शहरों में मुझे खुलेआम जला देंगे
और धर्म – जाति की लड़ाई में, मेरी मौत को छुपा लेंगे
अगर बच निकला इनके चक्रव्यू से मैं
तो मुझे पता है बलि चढ़ जाऊंगा खुदा के नाम पे मैं
कोई भक्त नहीं बचेगा ये खुदा तेरे शहर में
फिर कौन पूजेगा तुझे इन मंदिर और महजिदों के दरबार में
आप क्यों मुझे हैवान बनाने पे तुले हो
मेरे पैरों को काट के मुझे चलना सिखाते हो
अगर हिन्दू ही बनाना था मुझे
तो मुस्लिमों जैसा खून मेरी रगों में क्यों दौड़ाते हो
खुदा कहूँ या भगवान कहूँ तुझे
ये पहले क्यों नहीं बताया मुझे
बड़ी बनावटी सी लगने लगी हैं ये दुनिया
इतना हो जाने के बाद भी तुझे नज़र नहीं आती ये कमीयां
मैं मर चुका हूँ इनके रास्तों पे Hindi sad kavita
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