मैं वो दरिया नहीं HIndi sad poem

मैं वो दरिया नहीं HIndi sad poem

मैं वो दरिया नहीं, जो किनारों से कैद रहूँ
और मैं वो प्यार भी नहीं ,जो टूट के बिखर जाऊं
तुफ़ा लाना है तो ला तूं
मैं वो पत्थर नहीं, जो लहरों से डर जाऊं
ये मौत का डर किसी और को बताना
मैं जिन्दा ही कब था जो मर जाऊंगा
प्यार में जिंदगी है खुद को  समझाना
मुझे दोस्ती ना मिली तो दुस्मनी निभा लूँगामैं वो दरिया नहीं HIndi sad poem

2 thoughts on “मैं वो दरिया नहीं HIndi sad poem”

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top