मुझमे कोई बहरूपिया रहता है
कहीं खो ना जाऊं मैं
मुझमे कोई जंगल भी रहता है
मुझे पकड़ो वहां नफ्रतें जादे हैं
मुझमे कई शरहदें भी हैं
यार कोई तो आओ उजाला लेके
मुझमे अंधेरों का काफ़िला भी है
दूर से ही मुझे बचा लेना
मुझमे प्यार का बंधन भी है
मिलना भी तो देर तक ना मिलना
मुझमे थोड़ी नफ्रत भी है
यार मुझे बचा लो Hindi sad kavita
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