संभालों जरा तुम मुझको Hindi sad poetry
Hindi sad poetry
संभालों जरा तुम मुझको
मैं क्या होने वाला हूँ
ऐसे ना बात करो तुम
अब मैं रोने वाला हूँ
तुम सुकूं ना पाओगे रुला के मुझको
कोई है जो मुझे हँसाने वाला है
तुम छीन लो हर एक नसीबें मेरी
कोई है जो मुझे हक़ दिलाने वाला है
तुम रास्ता दो या ना दो मुझको
कि अब मैं ना लौटने वाला हूँ
ठोकरें इतना पा गया हूँ
कि अब मैं ना रुकने वाला हूँ
तुम कोसते रह जाओगे मुझको
कि अब मैं ना हारने वाला हूँ
दीवारें लाख खड़ी करदो रास्तों में मेरे
मगर अब मैं जितने वाला हूँ
संभालों जरा तुम मुझको Hindi sad poetry
सुकूं = सुकून
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