जरा – जरा सी बात पे वो बिगड़ जाती है Hindi romantic kavita
Hindi romantic kavita
जरा – जरा सी बात पे वो बिगड़ जाती है
क़ोशिश बहुत की मगर ये रात ख़िसक जाती है
चेहरे पे उसकी उदासी जब भी आती है
मेरी सारी तमन्नायें यूँ ही सुलग जाती हैं
हालाते-जहर वो अपनी छुपा ले जाती है
कितना भी पूछूं बातों में बहका ले जाती है
सारे दर्द को वो अकेले ही उठा ले जाती है
अपनी सारी ख़ुशियों को मेरा पता दे जाती है
एक-एक कर के सारे दिन बिछड़ जाते हैं
होश में आते ही वो सदियों में बदल जाते हैं
कैसे कहूं उसके ना होने का सिलसिला
हर रात उसकी यादें मुझे उठा ले जाती हैं
मोहब्बत को किताबों में सजा दी जाती है
ज़माने में उसको लटका दी जाती है
रहने दो अब कुछ नही कहना है मुझे
हर रोज उसकी सिसकियाँ रुला जाती हैं
जरा – जरा सी बात पे वो बिगड़ जाती है Hindi romantic kavita
Writer