हिन्दू ना मुस्लिम चलो इंसान हो जाएँ Motivational Hindi Poetry
हिन्दू ना मुस्लिम चलो इंसान हो जाएँ
हर रंजिशों को छोड़ के एक साथ हो जाएँ
एक बार फिर आजादी के लिए कुर्बान हो जाएँ
तुम भगत सिंह हम आज़ाद हो जाएँ
क्यों आपसी जलन में जल के राख हो जाएँ
हिन्दू ना मुस्लिम चलो इंसान हो जाएँ
रोना छोड़ के चलो खुशियों के जमींदार हो जाएँ
गल्तियां जिसकी भी हों, हम जिम्मेदार हों जाएँ
इसने ये किया, उसने वो किया, बस करो
कुछ तुम तो कुछ हम भी समझदार हों जाएँ
क्यों आपसी जलन में जल के राख हो जाएँ
हिन्दू ना मुस्लिम चलो इंसान हो जाएँ
खुशियां समेटे चलो दर्द से पार हों जाएँ
इंसानियत के थोड़ा तो हक़दार हों जाएँ
नादानियों में हमने सारा कुनबा लुटा दिया
अब तो इस दरिया से चलो पार हों जाएँ
क्यों आपसी जलन में जल के राख हो जाएँ
हिन्दू ना मुस्लिम चलो इंसान हो जाएँ
हिन्दू ना मुस्लिम चलो इंसान हो जाएँ Motivational Hindi Poetry
Bahut badhiya bhai