दो ही चार दिन खेल के Hindi Motivational Poetry

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 Hindi Motivational Poetry

 दो ही चार दिन खेल के

वो ज्ञान पेलने लगा

हम बरसों बिताये

हम ही को रेलने लगा

सामने मुझे बिठा के

खुद ही खेलने लगा

कहानियों के बीच में रख के

करैक्टर निभाने लगा

वो रुक गया ग़लतियाँ कर के

मैं मुस्कुराने लगा

वो रत्ती – रत्ती पूछ के

खुद को निखारने लगा

दो ही चार दिन खेल के Hindi Motivational Poetry

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