जो बुरे कदमों पे टोका करते थे Hindi sad poetry

Hindi sad poetry

 

जो बुरे कदमों पे टोका करते थे
रिश्तों की बाग़ को सींचा करते थे
रोने की वजय जो पूछा करते थे
वो चले गए ….
जो नए नाम से पुकारा करते थे
जिनको माँ राखी बांधा करती थी
और मीठा हम खाया करते थे
वो चले गए ……
जो बड़े होने पे अदब से बातें करते थे
क्या करता हूँ ये पूछा करते थे
पैर छूने से पहले जो आशीर्वाद दिया करते थे
वो चले गए ……
मेरे हारने पे जीत की उम्मीद जगाया करते थे
मायूस ना होना ये दोहराया करते थे
मेरी हर जीत पे जो मुस्कुराया करते थे
वो चले गए……..
जो बुरे कदमों पे टोका करते थे Hindi sad poetry

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top