ये इश्क बड़ा बूद्धू है Hindi romantic poetry
Hindi romantic poetry
ये इश्क बड़ा बूद्धू है
हर बार दोस्त की गर्लफ्रेंड से ही हो जाता है
रोकता हूँ इसे जिस राह पे, ना जाने को
ये सर फिरा उधर ही चला जाता है
दुनिया भटकाने का मेला है समझाता हूँ
मगर ये दिल है दिमाक की सुनता कहाँ है
हर बार मोहब्बत की सवारी करने चला जाता है
ढूढ़ता हूँ तो वीरानों में भटकता मिलता है
जंजीरें नहीं लगाऊंगा, तराने छेड़ो
मगर किसी के आंसुओं को बेघर ना करो
रिश्तों को सम्हालने का थोड़ा हुनर सिख लो
दिल तोड़ जाते हैं लोग ये कहना छोड़ दो
ये इश्क बड़ा बूद्धू है Hindi romantic poetry
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