ना मंदिर , ना मस्जिद चाहिए Hindi motivational poetry
Hindi motivational poetry
ना मंदिर , ना मस्जिद चाहिए
उसमे बैठता है जो खुदा , वो भगवान चाहिए
और ना वादे , ना लड्डू खीर चाहिए
हुआ है जो कोई जुर्म , तो थोड़ी इन्साफ चाहिए
उनके पिछले जन्मो का पाप है ये निबंध नहीं चाहिए
इस जन्म में भी उन्हें थोड़ा प्यार चाहिए
संसद में बैठ कर भाषणों का ब्यापार ना होना चाहिए
घरों – गांवों में आंसुओं का उद्धार होना चाहिए
शिक्षा कराओ तो उसमे ज्ञान भी होना चाहिए
उंच – नीच की कोई पहचान ना होनी चाहिए
महलों में रहकर अख़बारों में हाथ हिलाने का शौक ना होना चाहिए
सेवक बने हो तो सेवा का कर्म भी होना चाहिए
ना मंदिर , ना मस्जिद चाहिए Hindi motivational poetry
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