Kavita in Hindi बस करो कितना नाराज़ रहोगे
Kavita in Hindi
बस करो कितना नाराज़ रहोगे
बिना बोले कोई तरीका है समझाने का
कुछ दिन और जी लेते हैं इश्क में
तुम इशारा मत करो छोड़ जाने का
मैं अकेले नहीं रह पाता हूँ
तुम्हे थोड़ी भी फिकर नहीं है मेरे गुम हो जाने का
बेचैनियाँ दूर रहें ये गुज़ारिश हैं मेरी
मुझे तो परवाह ही नहीं है खुद बिखर जाने का
जिस राह पर भी चलती हूँ
सारे रास्ते दुआ माँगते हैं मेरे आने का
और तुम्हे धोड़ा भी गुरुर नहीं हैं मुझे पाने का
खो जाउंगी इस दुनिया के भीड़ में कहीं
अगर ये चेहरा लगाया तुमने ये दुनिया का
फिर मैं कभी नहीं मिलूंगी इस ज़माने में
फिर ये मत कहना वो आई नहीं, मुझे अपसोस हैं उसके जाने का
Kavita in Hindi बस करो कितना नाराज़ रहोगे
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