मेरी नज़रों की बात ना कर
खुद पे भी तो गौर कर
हर जुर्म मेरा ही क्यूँ
कदम तो तेरे भी ना रुके इस राह पे
करीब आना अगर मेरी गलती थी
तो दूरियाँ तुमने क्यों नहीं बढाया
वो रातें यादगार हुई तो क्या
इसमें साथ तेरा भी तो था
अब बात छोड़ो भी लोगों की
मैं किसी के जुबां पे पहरा नहीं देता हूँ
ज़िन्दगी सिर्फ तारीफों से भरी नहीं है
गाली मिले तो उसका भी स्वागत कर लेता हूँतुम्हे लगता है की हमारा प्यार बदनाम हो रहा है
तो हो जाने दो
शोहरत का ये भी एक पहलू है
बस खुश इतने से रहो
की हर किसी की जुबां पे अपना नाम तो जिंदा रहेगा
तो हो जाने दो
शोहरत का ये भी एक पहलू है
बस खुश इतने से रहो
की हर किसी की जुबां पे अपना नाम तो जिंदा रहेगा
मेरी नज़रों की बात ना कर | Hindi romantic poem
Writer
Very nice