चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना Hindi romantic poem

 Hindi romantic poem

चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना
खतों से इज़हार का फ़साना
हम आगे निकल आये
या वो आगे निकल गया
किसी आते हुए मुसाफ़िर से पूछो जरा
क्या आगे मिला था वो
अगर नहीं, तो पीछे मिले, तो भेजना
कोई इंतज़ार कर रहा है
उसे इतना तो कहना
चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना
खतों से इज़हार का फ़साना
तुम अपनी इज्जत के पिटारे को रहने दो
ये इनका जवाना है इन्हें जीने दो
ये जात-पात अपने पास रखो
ये मोहब्बत है इसे रहने दो
चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना
खतों से इज़हार का फ़साना
“इश्क” एक शब्द बन कर रह गया है
facebook, twitter का जमाना आ गया है
whatsapp से बातों का सिलसिला शुरू  हो गया है
आशिकों को देखे हुए जमाना हो गया है
चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना
खतों से इज़हार का फ़साना
valentine day को त्योहार ना बनाना
इश्क दिल की चीज है
इसमें दिमाक ना लगाना
वो सादगी , वो मुस्कुराना
कितना मुश्किल था
एक – दुसरे के करीब आना
चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना
खतों से इज़हार का फ़साना
चलो ढूढ़ते हैं इश्क का वो जमाना Hindi romantic poem

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