वो माँ ही थी Hindi sad poetry
वो माँ ही थी Hindi sad poetry
वो माँ ही थी
बस चेहरा अलग था
जो दिया वो दिवाली की मिठाई थी
बस प्लेट नहीं था
पैसे भी थे
बस अंदाज़ अलग था
उसके हाथों से जो भी मिलता, रख लेता था
मेरी शिकायतें भी बहुत थी
लेकिन वो बोले तो सुन लेता था
वो माँ ही थी
बस चेहरा अलग थावो माँ ही थी Hindi sad poetry
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