Kavita in Hindi
ये गुरुर क्यों इतना बढ़ता जा रहा है ?
क्या यही हमें बर्बाद करता जा रहा है ?
मुस्कान उसके होठों पे वाकई में आ रही है
या फरेबी है कोई, जो नकाबों में दिख रही है
खुद को अपने चेहरे पे क्यों नहीं रख रहे हो
ज़माने की तरह किसी और की जिंदगी जी रहे हो
तुम्हारे हक़ की खुशियाँ जल के राख़ होती जा रही है
ये तुम्हारा वहम है की तुम लोगों की बस्तियां जलाये जा रहे हो
लोगों के दर्दों पे क्यों इतना हंसे जा रहे हो ?
सुनामी से डर नहीं लगता जो इतने आंसू बचाये जा रहे हो
समझदारी हर एक में है, वो तो रिश्ते हैं जो निभाए जा रहे हैं
तुम्हारी भी हंसी दम तोड़ देगी, जो सबको रुलाये जा रहे हो
ये तुम्हारा कारवां है जो मस्ती में चले जा रहे हो
फिर किसी से ये ना कहना की अब तुम सताए जा रहे हो
Kavita in Hindi ये गुरुर क्यों इतना बढ़ता जा रहा है
जरा – जरा सी बात पे वो बिगड़ जाती है/ Hindi kavita /Hindi Poetry/sad poem/hindi shayari
हिन्दू ना मुस्लिम चलो इंसान हो जाएँ Motivational Hindi Poetry
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